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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2804
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- गढ़वाल शैली का उदय किस प्रकार हुआ ?

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. गढ़वाल पेंटिंग स्कूल की उत्कृष्ट कृतियाँ कौन-सी हैं?
2. डेकारा क्या है?

उत्तर-

17वीं सदी के मध्य में एक मुगल राजकुमार सुलेमान शिकोह ने गढ़वाल में शरण ली। राजकुमार अपने साथ एक कलाकार एवं उसके पुत्र को लाया जो कि उसके दरबारी पेन्टर थे एवं मुगल स्टाइल की पेन्टिंग में कुशल थे। उन्नीस माह बाद राजकुमार ने गढ़वाल को छोड़ दिया परन्तु उसके दरबारी पेन्टर जो यहाँ के मनोहर वातावरण से मन्त्रमुग्ध हो गये थे वे यहीं पर रुक गये। ये पेन्टर श्रीनगर (गढ़वाल) में स्थापित हो गया जो पंवार राज्य की तत्कालीन राजधानी थी एवं गढ़वाल में मुगल स्टाइल की पेन्टिंग को प्रस्तुत किया ।

धीरे- साथ समय के साथ इन मूल पेन्टरों के उत्तराधिकारी विशिष्ट पेन्टर बन गये तथा उन्होंने अपने प्रकार की नवीन मूल पद्धति को विकसित किया। यह स्टाइल बाद में गढ़वाल पेन्टिंग स्कूल के रूप में प्रसिद्ध हुआ। लगभग एक शताब्दी बाद एक प्रसिद्ध पेन्टर भोला राम ने पेन्टिंग की कुछ अन्य पद्धतियों द्वारा रोभानी आकर्षण के समतुल्य पेन्टिंग की एक नई पद्धति विकसित की। वे गढ़वाल स्कूल के एक महान मास्टर होने के साथ-साथ अपने समय के एक महानतम कवि भी थे। भोला राम की पेन्टिंगों में हमे कुछ सुन्दर कविताएं प्राप्त होती है। यद्यपि इन पेन्टिंगों में अन्य पहाड़ी स्कूलों का प्रभाव निश्चित रूप में दिखाई पड़ता है तथापि इन पेन्टिंगों में गढ़वाल स्कूल की सम्पूर्ण मूलता को बनाए रखा गया है। गढ़वाल स्कूल की प्रमुख विशिष्टताओं में पूर्ण विकसित वक्षस्थलों, बारीक कटि - विस्तार, अण्डाकार मासूम चेहरा, संवेदनशील भी है एवं पतली सुन्दर नासिका से परिपूर्ण एक सौन्दर्यपूर्ण महिला की पेन्टिंग सम्मिलित है। अपनी लिखी कविताओं प्राकृतिक इतिहास पर लिखे विचारों, एकत्रित आंकडों एवं विविध विषयों पर विशाल मात्रा में बनाई गई पेन्टिंगों के आधार पर भोलाराम को निर्विवाद रूप में अपने समय के एक महान कलाकार एवं कवि के अपवाद व्यक्तित्व के रूप में जाना जा सकता है।

राजा प्रदुमन शाह (1797-1804AD) द्वारा कांगडा की एक गुलर राज कुमारी के साथ किये गये विवाह ने अनेकों गुलर कलाकारों को गढ़वाल में आकर बसने पर प्रेरित किया। इस तकनीक ने गढ़वाल की पेन्टिंग स्टाइल को अत्यधिक प्रभावित किया। आदर्श सौन्दर्य की वैचारिकता, धर्म एवं रोमांस में विलयकरण, कला एवं मनोभाव के सम्मिश्रण सहित गढ़वाल की पेन्टिंग प्रेम के प्रति भारतीय मनोवृत्ति के साकार स्वरुप को दर्शाती है। विशिष्ट शोधकर्ताओं एवं एतिहासिक कलाकारों द्वारा किये गये कुछ कठिन शोध कार्यों के कारण इस अवधि के कुछ पेन्टरों के नाम प्रसिद्ध है। पेन्टरों के पारिवारिक वृक्ष में श्याम दास हर दास के नाम सर्वप्रथम लिये जाते हैं जो राजकुमार सुलेमान के साथ गढवाल आने वाले प्रथम व्यक्ति थे। इस कला विद्यालय के कुछ महान शिक्षकों में हीरालाल, मंगतराम, भोलाराम, ज्वालाराम, तेजराम, ब्रजनाथ प्रमुख है।

गढ़वाल पेन्टिंग स्कूल की कुछ उत्कृष्ट कलाकृतियाँ निम्न हैं-

रामायण (1780AD) का चित्रण, ब्रहमा जी के जन्म दिवस (1780AD) का आयोजन, शिव एवं पार्वती रागिनी, उत्कट नायिका, अभिसारिका नायिका, कृष्ण पेन्टिंग, राधा के चरण, दर्पण देखती हुई राधा, कालिया दमन, गीता गोविन्दा चित्रण पुरातत्वीय अन्वेषणों से प्राप्त अनेकों प्रतिमाओं सहित वृहत्त मात्रा में इन पेन्टिंगों को श्रीनगर (गढ़वाल) में विश्वविद्यालय संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है।

डेकारा

गढ़वाल के निवासियों के जीवन में मूर्ति पूजा का विशिष्ट महत्व होने के कारण देवी एवं देवताओं की विशिष्ट प्रतिमाओं को बनाया गया है। डेकारा देवी देवताओं की चिकनी मिट्टी में निर्मित प्रतिमाएं हैं। जिन्हे रिलीफ या त्रिविमिय स्वरुप में तैयार किया गया है तथा मुख्य रूप में पूजा - अर्चना हेतु स्थापित किये गये। इन प्रतिमाओं को बारीक चिकनी मिट्टी में रंग मिलाकर तैयार किया गया है। इसके बाद उन्हे आकर्षित बनाने के लिए उनमे विभिन्न रंग भरे गये मकर सक्रान्ति के अवसर पर गेहूँ के मीठे आटे में जंगली सुअर या घुगटा (जिसकी प्रतिमाएं कुमाऊ के रोमान्टिक लोक संगीतों में स्थापित है) को चित्रित करती माला के रोमान्टिक लोक संगीतों में स्थापित है) को चित्रित करती माला बनाई जाती है। बच्चे इन घुगटा प्रतिमाओं को कौओ को खिलाते हैं। कर्क सक्रान्ति के अवसर पर डेकारा के नाम से प्रसिद्ध भगवान शिव की प्रतिमाएं बनाई जाती है जो शिव एवं हिमालय पुत्री पार्वती के विवाह का चित्रण करती है।

आभूषण

गढ़वाल एवं कुमाऊ के प्रत्येक भाग में पारम्परिक स्वर्णकार हजारों वर्ष पुराने डिजाइनों एवं पद्धतियों का प्रयोग करके पारम्परिक आभूषण निर्मित करते हैं। ये आभूषण सोने, चाँदी एवं अक्सर ताँबे के बने होते है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पाल शैली पर एक निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  2. प्रश्न- पाल शैली के मूर्तिकला, चित्रकला तथा स्थापत्य कला के बारे में आप क्या जानते है?
  3. प्रश्न- पाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- पाल शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिए।
  5. प्रश्न- अपभ्रंश चित्रकला के नामकरण तथा शैली की पूर्ण विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- पाल चित्र-शैली को संक्षेप में लिखिए।
  7. प्रश्न- बीकानेर स्कूल के बारे में आप क्या जानते हैं?
  8. प्रश्न- बीकानेर चित्रकला शैली किससे संबंधित है?
  9. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताओं की सचित्र व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- राजपूत चित्र - शैली पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  11. प्रश्न- बूँदी कोटा स्कूल ऑफ मिनिएचर पेंटिंग क्या है?
  12. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिये।
  13. प्रश्न- बूँदी कला पर टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- बूँदी कला का परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- राजस्थानी शैली के विकास क्रम की चर्चा कीजिए।
  16. प्रश्न- राजस्थानी शैली की विषयवस्तु क्या थी?
  17. प्रश्न- राजस्थानी शैली के चित्रों की विशेषताएँ क्या थीं?
  18. प्रश्न- राजस्थानी शैली के प्रमुख बिंदु एवं केन्द्र कौन-से हैं ?
  19. प्रश्न- राजस्थानी उपशैलियाँ कौन-सी हैं ?
  20. प्रश्न- किशनगढ़ शैली पर निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  21. प्रश्न- किशनगढ़ शैली के विकास एवं पृष्ठ भूमि के विषय में आप क्या जानते हैं?
  22. प्रश्न- 16वीं से 17वीं सदी के चित्रों में किस शैली का प्रभाव था ?
  23. प्रश्न- जयपुर शैली की विषय-वस्तु बतलाइए।
  24. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- किशनगढ़ चित्रकला का परिचय दीजिए।
  26. प्रश्न- किशनगढ़ शैली की विशेषताएँ संक्षेप में लिखिए।
  27. प्रश्न- मेवाड़ स्कूल ऑफ पेंटिंग पर एक लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मेवाड़ शैली के प्रसिद्ध चित्र कौन से हैं?
  29. प्रश्न- मेवाड़ी चित्रों का मुख्य विषय क्या था?
  30. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
  31. प्रश्न- मेवाड़ एवं मारवाड़ शैली के मुख्य चित्र कौन-से है?
  32. प्रश्न- अकबर के शासनकाल में चित्रकारी तथा कला की क्या दशा थी?
  33. प्रश्न- जहाँगीर प्रकृति प्रेमी था' इस कथन को सिद्ध करते हुए उत्तर दीजिए।
  34. प्रश्न- शाहजहाँकालीन कला के चित्र मुख्यतः किस प्रकार के थे?
  35. प्रश्न- शाहजहाँ के चित्रों को पाश्चात्य प्रभाव ने किस प्रकार प्रभावित किया?
  36. प्रश्न- जहाँगीर की चित्रकला शैली की विशेषताएँ लिखिए।
  37. प्रश्न- शाहजहाँ कालीन चित्रकला मुगल शैली पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- अकबरकालीन वास्तुकला के विषय में आप क्या जानते है?
  39. प्रश्न- जहाँगीर के चित्रों पर पड़ने वाले पाश्चात्य प्रभाव की चर्चा कीजिए ।
  40. प्रश्न- मुगल शैली के विकास पर एक टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- अकबर और उसकी चित्रकला के बारे में आप क्या जानते हैं?
  42. प्रश्न- मुगल चित्रकला शैली के सम्बन्ध में संक्षेप में लिखिए।
  43. प्रश्न- जहाँगीर कालीन चित्रों को विशेषताएं बतलाइए।
  44. प्रश्न- अकबरकालीन मुगल शैली की विशेषताएँ क्या थीं?
  45. प्रश्न- बहसोली चित्रों की मुख्य विषय-वस्तु क्या थी?
  46. प्रश्न- बसोहली शैली का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- काँगड़ा की चित्र शैली के बारे में क्या जानते हो? इसकी विषय-वस्तु पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- काँगड़ा शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- बहसोली शैली के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  50. प्रश्न- बहसोली शैली के लघु चित्रों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  51. प्रश्न- बसोहली चित्रकला पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  52. प्रश्न- बहसोली शैली की चित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
  53. प्रश्न- कांगड़ा शैली की विषय-वस्तु किस प्रकार कीं थीं?
  54. प्रश्न- गढ़वाल चित्रकला पर निबंधात्मक लेख लिखते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइए।
  55. प्रश्न- गढ़वाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की व्याख्या कीजिए ।
  56. प्रश्न- गढ़वाली चित्रकला शैली का विषय विन्यास क्या था ? तथा इसके प्रमुख चित्रकार कौन थे?
  57. प्रश्न- गढ़वाल शैली का उदय किस प्रकार हुआ ?
  58. प्रश्न- गढ़वाल शैली की विशेषताएँ लिखिये।
  59. प्रश्न- तंजावुर के मन्दिरों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- तंजापुर पेंटिंग का परिचय दीजिए।
  61. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग की शैली किस प्रकार की थी?
  62. प्रश्न- तंजावुर कलाकारों का परिचय दीजिए तथा इस शैली पर किसका प्रभाव पड़ा?
  63. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग कहाँ से संबंधित है?
  64. प्रश्न- आधुनिक समय में तंजावुर पेंटिंग का क्या स्वरूप है?
  65. प्रश्न- लघु चित्रकला की तंजावुर शैली पर एक लेख लिखिए।

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